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________________ 343 भारण्डपक्षी व गुटिका का 356 समुद्र में गिरना तथा घर प्रभाव पहुंचना 343 कनकपुर में 356 समुद्र तट पर एक व्यक्ति 343 वृद्ध भारण्ड का अतिथि का तैरते हुए आना 344 कनकसेन की अंधी पुत्री 357 भीम का हाल. का समाचार 358 अवन्ती की स्थिति जानना 345 विक्रमचरित्र के नेत्र खुलना | 358 कनकसेन को विक्रमचरित्र 347 भारण्ड के मलकी गुटिका के कुल आदिका पता लेकर कनकपुर जाना लगना 348 श्रीद श्रेष्ठी के पुत्र को निरोग | 359 राजा का पश्चात्ताप बनाना 348 राजपुत्री की काष्ठ भक्षण | 360 विक्रमचरित्र का पत्नी के यात्रा व उसे रोकना साथ रवाना होना 349 राजपुत्री के नेत्र खुलना | 361 भीम का विक्रमचरित्र को 349 वैद्य से लग्न करनेका आग्रह समुद्र में गिराना 350 विक्रमचरित्र का राजकन्या 361 मगर द्वारा निकलना से लम व राज्यप्राप्ति 362 अवन्तीपुरी तक पहुँचना 352 सामन्तों को संदेश व उनका | 362 छिपकर रहना उत्तर 363 भीम का कपट 353 सामन्तों को वश में करना 364 घर पहुँचना उनतिसवा प्रकरण पृ.३५६से 374 366 राजा का ज्योतिषी को . समुद्रमें गिरना तथा घर विक्रमचरित्र के आने के पहुँचना 356 / / वारे में पूछना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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