________________ 318 रूपवती की काष्टभक्षण की 329 राजा से बातचीत तैयारी 330 पुनः दान शुरू करना 318 विक्रमचरित्र का ठीक वक्त सत्ताइसवा प्रकरण पृ.३३१से 342 पर पहुँचना जंगल में एकाकी 331 319 माता-पिता से शुभ मिलन 33. जंगलमें एकाकी और रूपमती से लग्न 331 विक्रमचरित्र की सोमदन्त पंचम सर्ग समाप्त से मित्रता षष्ठ सर्ग पृ. 321 से 374 331 धर्मघोषसूरि से धर्म श्रवण छवोसवा प्रकरण पृ. 322 से 330 332 धर्मकार्य में बेहद व्यय विक्रमादित्य का गर्व 321 332 राजा की हितशिक्षा 321 विक्रमादित्य का गर्व 333 राजकुमार की विदेश गमन की इच्छा 321 विक्रम का गर्व 321 नगर छोड कर जाना 336 सोमदन्त सहित परदेश गमन 337 द्यत खेलना 322 एक आश्चर्य 324 गर्व खंडन व प्रतिबोध 338 विक्रमचरित्र का नेत्र हारना 324 अश्वारूढ होना व जंगल में 338 कपट वार्तालाप ____जाना 339 नेत्र निकालकर दे देना 326 वनवासी भील का अतिथि 341 सोमदन्त का जाना 327 भील-भीलडी की मृत्यु 342 जंगल में एकाकी 328 राजा ने दान बंद किया अट्ठाइसवा प्रकरण पृ.३४३से 355 329 भील का श्रीपती शेठ के भारण्ड पक्षी व गुटिका का. - पुत्र रूपमें उत्पन्न होना प्रभाव 343 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org