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________________ . 366 नगर में घोषणा 376 राजा का आदेश 367 अवन्तीपुर का हाल 376 स्तुति के लिये राजा का 367 कनकश्री को समाचार मिलना वारंवार आग्रह व पटह स्पर्श 377 लिङ्गभेदन और श्रीपार्श्व३६९ राजा ओर विक्रमचरित्र का नाथ का प्रगट होना मिलन 378 श्री अवन्ती पार्श्वनाथ का 370 विक्रमचरित्र को महल पर इतिहास ले जाना 379 भद्रापुत्र की स्वयं दीक्षा 371 भीम को बांधना 380 वीतराग भगवान का स्वरूप 371 विक्रमचरित्र का भीम को 382 इतर शास्त्रों में वीतराग काः छुड़ाना व सोमदन्त का स्वरूप . . - आदर 382 धर्मोपदेश द्वारा सूरिजी की - 373 उपसंहार दान धर्म की पुष्टि सप्तम सर्ग प्र.३७५ से 116 / 385 दान धर्म की पुष्टि में शंख तीस व इक्कतोसवा प्रकरण राजा की रानी रूपवती पृ. 375 से 416 का उदाहरण अवन्ती पार्श्वनाथ व सिद्धसेन 387 अभयदान की प्रशंसा दिवाकर 375 387 रूपवती का चोर को 375 अवन्ती पार्श्वनाथ व सिद्ध- उपदेश सेन दिवाकर 388 चोरी का त्याग और मृत्यु * 375 सिद्धसेन दिवाकर सूरीश्वरजी से बचाव का चमत्कार | 388 परोपकार का बदला Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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