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________________ करना वीसवा प्रकरण पृ. 224 से 246 244 पिता-पुत्र मिलन पिता-पुत्र मिलन 224 चतुर्थ सर्ग समाप्त 224 पिता-पुत्र मिलन 224 राजाकी प्रतिज्ञा पञ्चम सर्ग पृ. 247 से 320 226 नगर भ्रमण इक्कीसवा प्रकरण पृ. 247 से 269 226 देवकुमार का धोबी के यहाँ सुवर्णपुरुष की प्राप्ति 247 से राजा के कपड़े चुराना 247 सुवर्णपुरुष की प्राप्ति 227 धोबी रूप चोर का नगर 249 विक्रमचरित्र का प्रतिष्ठानबाहर जाना पुर गमन 228 राजा द्वारा चोर का पीछा 249 माता को साथ लेकर जाना 250 दिव्यसिंहासन 229 राजा का कूप में उतरना व 250 योगी का अद्भुत फल भेंट देवकुमार का नगर में आ करना | 252 राजा का उत्तर साधक बनना 233 नगर में राजा की शोध 256 सुवर्णपुरुष की प्राप्ति 235 नगर बाहर राजा का मिलना 257 वीरमती की कथा 236 अम्निवैताल का आना बाईसा प्रकरण पृ.२६२ से 272 237 चोर को पकड़ने की प्रतिज्ञा सिद्धसेनसूरि 262 238 अग्निवैताल का खड्ग हरण | 262 सिद्धसेनसूरि 240 आधा राज्य देने की घोषणा | 262 विक्रम की सिद्धसेनसूरि से 243 वेश्या वं देवकुमार का राज- भेंट सभा में आना 263 दान व जीर्णोद्धार जाना .. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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