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________________ जाने का निर्णय किया तब कनकधी अपने पिताके पास अवन्ती जाने की विदा लेने गई जब विक्रम वैद्य नहीं लेकिन अवन्तीका राजकुमार है एसा जानना व उसके लिये पश्चाताप, विक्रमचरित्र का पत्नीके साथ अवन्ती प्रयाण व भीमद्वारा समुद्रमें गिराना व उनका सब माल लेकर कनकश्री को अपनी पत्नी बनाने की इच्छासे बलात्कार करना एवं विक्रमका मगरद्वारा भक्षित होकर धीवरद्वारा मगरका पेट चीरने से जीवित नीकलना, अवन्ती पहुँचना और वहाँ विक्रमचरित्र का मालीके घर छिपकर रहना, भीमका कपट देखना व राजाने ज्योतिषीद्वारा अपने पुत्र विक्रमचरित्र की स्थिति जानना एवं नगर-घोषणा द्वारा मालीनी के द्वारा कनकनी को अपना हाल ज्ञात कराना और कनकश्री को पटह पेश कराना और महाराजा विक्रमादित्यका कनकश्री को मीलने आना और उनके पाससे विक्रमचरित्र का हाल जानकर विक्रमचरित्र को घर पर लानेके लिये उत्सव करना व भीमको बांधकर लांना, और परमदयालु राजपुत्र विक्रमचरित्र द्वारा दयापूर्वक घर तक सब वहाणादि वस्तुएँ लाने के उपकारके कारण भीमको छुडवाना और अपना मित्र सोमदन्त को बुलाकर अपकारी प्रति भी उपकार करकर पुनः उनको धन आदिसे सन्मानित करके तीनो राणी के साथ राजकुमार विक्रमचरित्र शांतिसे अवन्तीमें रहने लगा और विक्रमादित्य महाराजाने उत्सव, पूजा, प्रभावना पूर्वक महोत्सव करवाया। उपरका वृत्तान्त आप लोक इस प्रकरणमें देखगें / अब आगे के प्रकरणमें आप लोगोंको परमोपकारी आचार्यश्री सिद्धसेनदिवाकर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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