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________________ जंगलमें निकल गया, विपरीत शिक्षाके कारण घोडा दूर जंगलमें चला गया वहाँ जाकर घोडा मरण के शरण हो गया और राजा भी मूर्छित हो कर गिरा था लेकिन किसी वनवासी भील के द्वारा सचेतन होकर उनके निवास स्थानमें लाया गया और भोजनादि से सत्कार किया। रात्री में 'वहाँ उसकी रक्षाके लिये बहार सोया हुआ वनवासीको व्याघ्रने मार डाला, उसके पीछे उसकी औरत भी पतिके आघातसे मर गई, परोपकारी के यह हाल देखकर राजाने अवन्तीमें आकर दान देना बंध किया, अवन्ती नगरीमें श्रीपति और दान्ताक शेठके वहाँ भील-भीलड़ी का आश्चर्यकारक जन्म हुआ, जन्म होते ही श्रीपतिके द्वारा विक्रमादित्यको बुलाकर दान के लिये सूचना कि, विक्रमादित्यको तुरत जन्मे हुए बालक की चाचासे आश्चर्य हुआ, बच्चेके कहनेसे दान पुनः शुरू करवाया, और पूर्व जन्मकी भीलडी कहाँ जन्मी है उसका हाल भी उन बच्चेके द्वारा विक्रमादित्यने सुना, और बालक को राजाने पाँचसो गाँव भेट किये। सत्ताइसवा प्रकरण . . . . पृष्ठ 331 से 342 तक ____ जंगलमें एकाकी किसी एकदिन विक्रमचरित्र मित्र सोमदन्त के साथ उद्यानमें आया, वहाँ श्रीधर्मघोषसूरिजीने धर्मोपदेश सुनकर चार प्रकारके धर्मका पालन करते दानमें अधिक धन व्यय करने लगा, जिसके लिये उनके पिताने उसको मर्यादित धन-व्यय के लिये कहा, जिससे विक्रमचरित्र खेदित होकर विदेश गमन किया वहाँ सोमदन्तने कपट द्वारा जूवा खेलने में राजकुमारके दोनो नेत्र जित लिये, और स्वार्थ निष्ठ सोमदन्त अवन्ती Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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