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________________ दूसरेने वामनस्थलीका हाल सुनाते राजकुमारी काष्ठभक्षण करना चाहती है यह सुनाया / जिससे वृद्ध भारंडने उसका औषध बतलाया। तीसरे पुत्रने विद्यापुरका हाल सुनाया। चौथेने भी अपना हाल कहा। यह सभी बातें राजपुत्रीने पेड के नीचे रहकर सुनी। शुभमतीने रूप परिवर्तन किया और भारंड पक्षीको लेकर वामनस्थली प्रति चली। प्रकरण पचीसवा . . . . पृष्ठ 305 से 320 तक .. शुभ मिलन . रूपपरिवर्तनमें रही हुई शुभमती अभि आनंदकुमार के नाम से प्रसिद्ध है, उसने मालीन के वहाँ मुकाम किया और मालीनसे पटह स्पर्श करवाया और खुद वैद्य बनकर शहरमें घूमने लगा। राजपुत्री को दवा देकर काष्ठभक्षणसे बचाई / उधर राजकन्या शुभमती बहुत तलास करने पर भी नहीं मीलनेसे धर्मध्वज वल्लभीपुरसे निकलकर अपना प्राण त्याग करने को रैवताचल-गिरनार आये है जिसको आनंदकुमार रुकवाता है / इधर महाबल राजा अपनी रानी के साथ, विक्रमचरित्र और किसान सिंह यह सभी भी प्राणत्याग करने गिरनार आते है उन सबको आनंदकुमार रोकता है किसीको भी प्राणत्याग करने नहीं देता है। धर्मध्वजको आनंदकुमार समजाता है जिसपर अमर ब्राह्मणकी कथा सुनाता है और अच्छी कन्या देनेका वचन देकर आनंदकुमार अपने स्थानपर जाता है / सिंह किसान प्राणत्याग करनेको जाता हैं उसको राजाके नौकर सकते है। आखिर धर्मध्वज और सिंहका श्रेष्ठ कन्याओं से Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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