________________ भूले लोग फिर सचेत हुए और राजा ने विद्याधर से नारीद्वेष का कारण पूछ। राजा के पूछने पर स्पष्ठतया सुकोमलाने बताये हुए पुरुषदोष उलटे स्वरूप में विद्याधरने राजाको बतलाये। उन सात भवोंको सुनकर पुरुष वेष में छुपकर रही हुइ सुकोमला प्रगट होकर उन * झूठी बात को सहन न करती हुई विद्याधर के साथ चर्चा करती लडने लगी। अंत में दो बच्चे न बतलाने के कारण सुकोमला झूठी पड़ी। उधर तीनो देव आकाश में उडते अदृश्य होने लगे। इस बनावसे. आश्चर्यान्वित होती हुई सुकोमलाने उस विद्याधर से लम नहीं हुआ तो आत्महत्या करने का जाहिर किया। जिससे उडते हुए देवको पाणिग्रहण करने का आग्रह किया और देव से विपरीत लक्षण देखकर राजा शालिवाहन विद्याधर के विषय में संदिग्ध हुआ, अखिर उत्तम पुरुष समझकर अपनी लड़की के साथ लम करने के लिये आग्रह किया। अति भाग्रह के कारणा उसने भी उसका स्वीकार किया और दोनो के लग्न हुए और यह सर्ग समाप्त हुआ। समाप्तः द्वितीयासः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org