________________ 352 विक्रम चरित्र है। जैसे वर्षा ऋतु में छोटी छोटी नदियों तट का भी उल्लंघन कर जाती हैं। " कोई भी व्यक्ति गुण से उत्तम होता है, ऊँचे आसन पर बैठने से नहीं / प्रासाद के शिखर पर बैठने से क्या कौआ गरुड समान हो जाता है ?'x इस प्रकार विचार कर उन लोगोंने अपने सेवको द्वारा यह सूचित किया कि 'हम लोग आप का कोई आदेश नहीं मानेंगे / यदि तुम में कुछ शक्ति हो तो यहाँ हमारे सम्मुख आओ। राजा से इस राज्य का आधा दान मिलने के कारण तुम बड़े हुए हो। परन्तु हम लोग दुर्ग आदि के कारण देवताओं से भी दुर्जय हैं।' सामन्तों को संदेश व उनका उत्तर . ____ उन सामन्तों की यह बात सुन कर अतुल पराक्रमी राजा विक्रमचरित्र अदृशीकरणविद्या द्वारा सब से पहले प्रधान शत्रु तथा मुख्य सामन्त के महल में उपस्थित हुआ और साहसी विक्रमचरित्र अपने शत्रु को कष्ठ से पकड़ कर बोला कि ' हे सामान्त ! अब तुम मेरी आज्ञा का पालन करना स्वीकारो, अन्यथा तीक्ष्ण धार वाली यह मेरी तलवार तुम्हारे कष्ठ को कमल के नाल के समान काट देगी। इस समय तुम्हारा जो कोई भी इष्ट देव हो उस का स्मरण कर लो। समस्त वैरी रूपी रोग को शान्त करने वाला मैं वही वैद्य हूँ / ' x गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थितः।। प्रासादशिखरस्थोऽपि काकः किं गरुडायते ? // 229 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org