________________ विक्रम चरित्र रूपवती की काष्ट भक्षण की तैयारी वह पथिक कहने लगा कि 'भट्टमात्र भीम नामक राजा की अत्यन्त सुन्दरी रूपवती नाम की कन्या को स्वयं ही विक्रमचरित्र के विवाह के लिये अवन्तीपुर में लाये, तब तक विक्रमचरित्र कहीं चला गया। इसके बाद महाराजा विक्रमादित्य ने अनेक देशों में अपने सेवकों को भेजकर उसकी खोज करवाई, परन्तु आजतक उसका कोई भी समाचार प्राप्त नहीं कर सका / बहुत समय जाने पर रूपवतीने राजा से काष्ठभक्षण की याचना की उसने कहा कि मैं अब किसी दूसरे वर को अङ्गीकार नहीं करूंगी। तब राजा और अमात्योंने उस कन्या को कहा कि यदि एक मास के भीतर विक्रमचरित्र नहीं आयेगा तो तुम हर्षसे काष्ठभक्षण करना / इस प्रकार उन लोगों ने बडे कष्ट से उसको समझा कर रक्खा / कल प्रातःकाल महीना पूरा होजाने से वह कन्या काष्ठभक्षण करेगी। महाराजा विक्रमादित्य ओर उनकी पत्नी सुकोमला वें दोनों पुत्र वियोग से अत्यन्त दुःखी हो रहे हैं। सुकोमला तो रात या दिन में न शय्या पर सोती है और न कभी दो बार भोजन ही करती हैं। अन्य मन्त्री आदिभी सब लोग अत्यन्त चित्तासे दुःखी होकर दो दिशाओं में विक्रमचरित्र के आने की राह देख रहे हैं। विक्रमचरित्र का ठीक वक्त पर पहुंचना उस पथिक के मुख से इस प्रकार की बात सुनकर विक्रमचरित्र अत्यन्त शीघ्रगति से मनोवेग अश्व के उपर आरुढ होकर आगे बढ़ता हुआ दूसरे दिन प्रातःकाल अवन्तीपुर के समीप उपस्थित हुआ, तब तक इधर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org