________________ 40 मुनि निरंजनविजयसंयोजित संयोग में हुआ यह सब विक्रमचरित्र को सुनाया और उसके साथ रहे हुए मनोवेग नामक घोडे को भी ले आई, जो मालाकार के यहाँ रक्खा हुआ था। शुभमती ने अपने स्वामी से सवालक्ष मूल्य के PH अच्छे अच्छे मणिरत्नादिक सब मालिन को दिलवाये। ठीक ही कहा है कि जिस प्राणी को पूर्व जन्म में उपार्जित पुण्यरूप द्रविण-धन पुष्कल हैं, उसको निश्चय ही सब सम्पतियाँ स्वयंभेव प्राप्त होजाती हैं। ___इसके बाद राजा विक्रमादित्य के पुत्र आदि सब रैवताचल पर्वत पर श्रीअर्हन्तोके दर्शन करने के लिये गये। पवित्र अन्तःकरण वाले वे लोग पुष्पों से श्री नेमिनाथजी की अर्चना करके तथा अच्छे अच्छे स्तोत्रों द्वारा प्रार्थना करके रैवताचल पर्वत के शिखर से नीचे उतरे इसके बाद राजा, कृषोबल आदि हर्ष से परम्पर मिलकर क्रमशः अपने अपने स्थान की ओर प्रस्थान कर गये। विक्रमादित्य का पुत्र विक्रमचरित्र भी अपनी प्रिया शुभमती के साथ बहुतसे घोडे और हाथियों से युक्त होकर उस नगरसे अवन्तीपुरी की ओर प्रस्थान कीया। मार्ग में जाते हुए विक्रमचरित्र का अवन्तीनगरी से आता हुआ एक पथिक मिला, जिसे उसने अवन्तीनगरी के नवीन समाचार पूछे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org