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________________ 310 विक्रम चरित्र वाली होती हैं। इसलिये आप अपने मन में कुछ भी वृथा खेद न करें। . अमर ब्राह्मण की वार्ता ___अमर नामक एक ब्राह्मण था / उसकी स्त्री अत्यन्त कलह करने वाली थी। कितना ही प्रयत्न करके वह हार गया / परन्तु उसकी स्त्री के स्वभाव में कुछ भी परिवर्तन नहीं हुआ / तब एक दिन वह अमर उसके कलह के भय से घर छोड़कर कहीं अन्यत्र चला गया और भिक्षावृत्ति करके अपना जीवन निर्वाह करने लगा / इधर उसकी स्त्री के कलह से उद्विग्न होकर गांव के लोगोंने उस को अपने गांव से निकाल भगाया / एक दिन अमर किसी के द्वार पर भिक्षा का पात्र लिये हुए खडा था / इतने में कहीं से उसकी स्त्री वहाँ आ गई / देखते ही कलह के भय से वह अपना भिक्षापात्र वहीं छोड़कर भाग गया / ऐसी दुष्टा स्त्री के लिये जीवन का परित्याग कर देना बुद्धिशालि के लिये अच्छा नहीं। ____ मनुष्य जन्म अत्यन्त दुर्लभ है / उस में भी उत्तम जाति तो और भी दुर्लभ है। फिर उत्तम कुल दुष्प्राप्य है और सद्धर्म से युक्त जीवन तो इतना दुर्लभ है कि इसके विषय में तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता / स्त्री के मरजाने पर जड मनुष्य ही प्राणत्याग कर सकता है / परन्तु उत्तम प्रकृति के लोग ऐसा समझते हैं कि मेरा एक कण्टक निकल गया / क्यों कि स्त्रिया मनुष्य के हृदय में प्रवेश करके उसको सम्मोहित करती हैं, मत्त बना देती हैं और विषाद युक्त भी कर देती हैं। स्त्रिये उसे रमण कराती हैं, तिरस्कृत करती हैं तथा. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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