________________ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm 300 विक्रम चरित्र के लिये लाया हूँ। इस प्रकार कठोर वाणीद्वारा अनेक प्रकार से उसका तिरस्कार कर के उसे घर से निकाल दिया। उसकी वह स्त्री रुष्ट होकर अपने पिता के घर चली गई / इधर किसान एक ब्राह्मण को बुला कर विवाह सामग्री लेकर उस कन्या से विवाह करने के लिये घर से निकला / जब वह क्षेत्र में पहुँचा तब वहाँ उस कन्या को न देख कर शून्य चित्त होकर चारों तरफ घूमने लगा। जब कहीं भी उस कन्या का पता न चला तो वह पागल सा हो गया तथा इस प्रकार बोलने लगा कि 'हे विप्र ! मैं विवाह करने के लिये इस समय एक कन्या को लाया हूँ। तुम उस के साथ मेरा पाणिग्रहण करा दो। मैं अपने घर को खुला ही छोड़ कर यहाँ आया हूँ, अतः जल्दी घर जाता हूँ क्यों कि शून्य घर में लोग प्रवेश कर के सब धन चुरा लेंगे। इस प्रकार बोलता हुआ वह किसान क्षेत्र में उस ब्राह्मण को सब जगह घूमाने लगा। कहा भी है कि "वास्तविक अन्ध पुरुष इस संसार में अपने आगे रखी हुई स्थूल वस्तु को भी नहीं देख सकता है। परन्तु कामी पुरुष अपने आगे रही हुई वस्तु को तो नहीं देखता पर काल्पनिक अनुपस्थित वस्तु को देखता है। कामी पुरुष निस्सार तथा अपवित्र अपनी प्रियतमा के नेत्र में कमल का आरोप करता है, हास्य में कुन्द पुष्प का आरोप करता है, मुख में पूर्ण चन्द्र का आरोप करता है, स्तन में कलश का आरोप करता है, हाथ में लता का आरोप करता है तथा ओष्ठ में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org