SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ maniramanna विक्रम चरित्र क्या कहूँ। जो उत्तम प्रकृति के लोग हैं, वे सदा सर्वकार्य विचार करके. . ही करते हैं / क्यों कि - अत्यन्त शीघ्रतासे बिना विचार किये ही कोई काम नहीं करना चाहिये, क्यों कि अविवेक से बहुत बड़ी विपत्ति को लोग प्राप्त हो जाते हैं। जो लोग विचार पूर्वक कार्य करते हैं उनके यहाँ गुण के लोभ से लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करती है। * ___यह अपना है अथवा यह दूसरे का है, इस प्रकार का विचार तो क्षुद्रबुद्धि के लोग ही किया करते हैं। उदार चित्त वालों के लिये तो समस्त पृथ्वी ही कुटुम्ब रूप है। . ___ भट्टमात्र इस प्रकार भक्ति से ओत प्रोत राजा का बचन सुन कर उसी समय बोला कि 'हे राजन् ! जिस के साथ विवाह करने का निश्चय हो गया है, उसी को आप अपनी कन्या दीजिये।' भट्टमात्र की बात सुन कर राजा महाबल अपने मन में विचार करने लगा कि राजा विक्रमादित्य का यह मंत्री अत्यन्त बुद्धिवान् महान् व्यक्ति है। जैसे अञ्जलि में स्थित पुष्प दोनों हाथों को सुवासित करते हैं, उसी प्रकार उदार विचार वाले व्यक्ति अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों में समान व्यवहार रखते हैं / उपकार करने का, सच्चा स्नेह करनेका सज्जन लोगों का स्वभाव ही होता है / चन्द्रमा को किसीने शीतल * सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् / वृणुते ही विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः // 240 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy