________________ 281 मुनि निरंजनविजयसंयोजित नहीं किया है, वह स्वभाव से ही तल है / भट्टमात्र जब राजा महाबल से विचार विमर्श करके लौटा तो श्री विक्रमचरित्र द्वारा मंत्री के साथ भेजे हुए सेवक सुभट कहने लगे कि इस प्रकार की दिव्यरूप वाली कन्या से श्री विक्रमचरित्र के सिवाय दूसरा कौन राजकुमार विवाह कर सकता है ? हम लोग ऐसा कभी नहीं होने देंगे। उन लोगों की बात सुनकर भट्टमात्र ने कहा के राजा महाबल की कन्या का जब मंत्री ने दूसरे राजकुमार को दे दिया है, तो इस कन्या से हम लोगों को कोई प्रयोजन नहीं है। श्री विक्रमचरित्र के अनुचर सेवक लोग कहने लगे कि इस कन्या को लेकर अपने नगर में राजा के पुत्र श्री विक्रमचरित्र के साथ विवाह करायेंगे। श्री विक्रमचरित्र को छोड़कर यह कन्या यदि दूसरे राजा के लड़के को देदी गई तो हम लोग जीकर क्या करेंगे ? तब तो हम लोग मृत तुल्य ही हो गये / जो व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुसार अपने स्वामी का कार्य नहीं कर सकता, उसके जीवन धारण करने से क्या लाभ ? प्रत्युत उसमें लघुता ही है / __ इन लोगों की ऐसी बात सुनकर भट्टमात्र ने कहा कि इस कन्या से हम लोगों को क्या प्रयोजन है ? श्री विक्रमचरित्र के लिये बहुतसी दूसरी सुंदर सुंदर कन्यायें मील सकती हैं / यदि यहाँ राजा महाबल के साथ इस कन्या के लिय युद्ध करेंगे, तो बहुत मनुष्यों का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org