________________ पश्चम सर्ग इक्कीसवाँ प्रकरण ... -- सुवर्ण पुरुष की प्राप्ति कुछ समय बाद राजा ने विक्रमचरित्र से कहा कि-हे पुत्र ! अब तुम उठो और भोजन करो। राजा की बात सुन कर विक्रमचरित्र ने उत्तर दिया कि मैं माता के आगे प्रतिज्ञा कर चुका हूँ कि पिता से मिलने के बाद पुनः तुम को प्रणाम करने के लिये लौटते हुए जब प्रतिष्ठानपुर के मार्ग में पडूगा, तब जल-पान कहूँगा। इसलिये अभी मैं भोजन नहीं कर सकता। अपने पुत्र की इस प्रकार प्रतिज्ञा सुन कर महाराजा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org