________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित 237 मेघ की वर्षा करना, कृषि करना, क्षेत्र में धान्य का बीज वपन करना, औषध भक्षण करना, सहायता करना, विद्याध्ययन करना, विवाह तथा अश्वशिक्षा, गोपालन करना, ये सब अवसर पर ही अच्छे होते हैं।* हे अग्निवैताल ! इस समय बहुत विचित्र संकट उपस्थित हो गया है। किसी चोर ने भट्टमात्र आदि व्यक्तियों को क्रमशः संकट में डाल दिया है / परन्तु आज तक वह कहीं भी न देखा गया है और न पकड़ा गया है। चोर को पकड़ने की प्रतिज्ञा राजा विक्रमादित्य की बात सुन कर अग्निवैताल बोला-'मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि तीन दिन के अन्दर चोर को अवश्य पकडूंगा।' राजा के सम्मुख प्रतिज्ञा करके अग्निवैताल चोर को पकड़ने के लिये स्थान स्थान पर नगर में भ्रमण करने लगा। : वेश्या के घर में स्थित चोर ने काली वेश्या से पूछा कि 'नगर में इस समय क्या क्या वार्ता चल रही है ?' काली वेश्या ने कहा-" अग्निवैताल कल ही यहाँ आया है / उसने प्रतिज्ञा पूर्वक कहा है कि चोर कैसा भी बलवान तथा दुर्ग्राह्य हो तथा कहीं भी क्यों न रहता हो, किन्तु मैं उस को अवश्य पकडूंगा / वह असुर अग्निवैताल स्थान स्थान पर गुप्त रूप * घनवृष्टिः कृषिर्धान्यवापौषधसहायिता। विद्योद्वाहाश्वगोशिक्षाधर्माद्यवसरे वरम् // 592 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org