________________ woman 234 विक्रम चरित्र स्वभाव वाली स्त्री, प्रत्युपकार चाहने वाला मित्र, प्रताप रहित राजा, भक्ति रहित शिष्य, तथा धर्म रहित मनुष्य सब वृथा हैं अर्थात् उनका होना न होना बराबर है। विद्या आलस्य करने से नष्ट होजाती है, स्त्रियाँ पर पुरुष से परिहास करने से नष्ट होजाती हैं, अल्प बीज देने से क्षेत्र नष्ट होता है और सेनापति के न रहने से सेना नष्ट होजाती है / * मंत्रियों की बात सुन कर द्वारपाल बोला कि -- राजा चोर को पकड़ने के लिये नगर से बाहर गये थे परन्तु चोर नहीं मिला / तब वह उसी समय रात्रि में लौट कर आगये थे और अपने स्थान पर चले गये थे।' द्वारपाल की बात सुन कर मंत्रीश्वर लोग बोले * कि राजा स्वयं नहीं आये, किन्तु उनका अश्व खाली आया है। उससे जान पड़ता है कि रात्रि में कोई राजा को मार गया।' तब द्वारपाल पुनः कहने लगा कि.-'रात्रि में कोई मनुष्य इस स्थान पर आकर बाहर से बोला कि मैं राजा विक्रमादित्य हूँ। शीघ्रसे +राज्यं निःसचिवं गतप्रहरणं सैन्यं विनेत्रं मुखम् / वर्षा निर्जलदा धनी च कृपणो भोज्यं तथाऽऽऽयं विना॥ दुःशीला गृहिणी सुहृन्निकृतिमान् राजा प्रतापोज्झितः। . शिष्यो भक्तिविवर्जितो नहि विना धर्म नरः शस्यते // 569 // *आलस्योपहता विद्या परिहासहताः स्त्रियः मन्दबीजं हतं क्षेत्रं हतं म्सैन्यमनायक // 570 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org