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________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित 233 कब से ही नगर में आ गया।" द्वारपाल की क्रोध युक्त-वाणी सुन कर राजा समझ गया कि चोर ने ही इसे ऐसा कहा होगा तब वह राजा बिना वस्त्र के दरवाजे के बाहर बैठ गया। सूर्योदय के समय राजा के महल पर राजा के अश्व को खाली आया देख कर लोग सोचने लगे कि " क्या चोर ने राजा को मार दिया, अथवा अश्व ही कहीं राजा को गिरा कर चला आया है, अथवा किसी शत्रु ने राजा को मार दिया, अथवा राजा किसी रोग के कारण पृथ्वी पर गिर गया।" इत्यादि अनेक प्रकार के संकल्पविकल्प करने लगे / मंत्रियों को ज्ञात होने पर वे नगर में सर्वत्र खोज करते हुए क्रमशः नगर के द्वार पर पहुँचे और द्वारपाल से पूछा कि " द्वारपाल ! क्या राजा यहाँ आये थे ? अथवा क्या रात्रि में तुमने राजा को कहीं जाते हुए देखा था ? अथवा क्या यह जानते हो कि राजा कहाँ है ? राजा के बिना इस समय सब लोग अत्यन्त दुःखी हो रहे हैं।" नगर में राजा की शोध - नगर में प्रत्येक स्थान पर हम लोगों ने राजा की तालाश की परन्तु कहीं भी उन को नहीं देखा / राजा के बिना समस्त राज्य नष्ट भ्रष्ट हो जायगा। मेव के वर्षा न करने से पृथ्वी कितने समय हरी भरी रह सकती है ? क्यों कि... मंत्री रहित राज्य, शस्त्र रहित सेना, नेत्र रहित मुख, जल नहीं देने वाली वर्षा ऋतु, धनी यदि कृपण हो, घृत बिना भोजन, दुष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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