________________ 202 विक्रम चरित्र यदि तुम हाथ न पकड़ोगे तो वह चोर छल कर के शीघ्र अदृश्य होकर यहाँ से भाग जायेगा। बेड़ी में स्थित पुरुष की यह बात सुनकर अमात्य भट्टमात्र, बोला कि-' हे मित्र ! यदि इस प्रकार उस चोर को पकड़ सकें, तो तुम चोर को पकड़ने के लिये मुझ को इस बेडी में डाल दो। POST P ROL PROGRasootapapes IN - तब भट्टमात्र को बेडी में डाल कर तथा एकान्त में कुछ देर रह कर वहाँ से चुप चाप निकल कर वह छली चोर पूर्ववत् वेश्या के घर चला गया। इधर अमात्य भट्टमात्र चोर के आगमन की आशा में रात भर उस बेड़ी में फँसा हुआ पडा रहा / जब प्राप्तःकाल होने लगा, तब निराश होकर अत्यन्त व्याकुल चित्त से दुःखी होकर बोला Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org