________________ विक्रम चरित्र क्योंकि जैसे मोक्ष की इच्छा रखने वाले मुनि सब अर्थों-अहिंसा, सत्य, आदि का संग्रह करके परलोक-मोक्ष में दृष्टि रखते हैं, वैसे अर्थ धन के संग्रह करने वालों को ही वेश्या सुख देती है / ' उसे आश्वासन देते हुए चोर ने पूछा कि यह सुन्दर भवन जो सामने दीख रहा है, वह किस का है ? ' . वेश्या बोली कि-' इस गगनचुम्बी महल के सातवें माल में राजा विक्रमादित्य शयन करता है तथा न्याय पूर्वक पृथ्वी का पालन करता है, भट्टमात्र उसका मंत्री है। राजा के महल के बायीं तरफ ऊंचा वह सुन्दर महान् मकान है वह मंत्री भट्टमात्र का है।' चोर बोला कि ' आज रात्रि में इस नगर को देखने के लिये मैं जाउँगा जब रात में आकर मैं दरवाजा खटखटाऊँ तो तुम धीरे से खोल देना।' ___ वेश्या ने उस बातका स्वीकार किया और वह प्रसन्न होता हुआ रात में घर से निकल चला / क्यों कि सिंह कोई शकुन नहीं देखता और न वह चंद्रवल या धन-सम्पत्ति देखता है / वह. एकाकी ही शिकार को देख कर सामना करता है / क्योंकि जहाँ साहस है, वहाँ सिद्धि भी है। ___ इधर राजा के समक्ष आकर अग्निवैताल बोला कि 'हे राजन् ! देवद्वीप में देवता लोग बहुत अच्छा नृत्य करेंगे। इसलिये मैं वहाँ जाऊँगा अतः अभी तुम मुझ को वहाँ जाने की अनुमति दो। वहाँ पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org