________________ विक्रम चरित्र में मुझ को कोई भी बाधा नहीं होगी।' नानुसरे SEAnandmemesswaranamamalinsaan यह सुनकर सुकोमला विस्मित होकर बोली कि “वह देव वहाँ जा कर देवी, तडाग और वन आदि से मोहित होकर वहीं रह गये है कभी भी यहाँ नहीं आते है। क्योंकि देवलोक के समान दिव्य अलंकार, उत्तम वस्त्र, मणि-रत्न आदि से प्रकाशित भवन, सौन्दर्य भोग विलास आदि की सामग्री यहाँ कहाँ से हो सकती है? और देवताओं को देवलोक में जो सुख मिलता है, उसका वर्णन सौ जिह्वा वाला भी नहीं कर सकता है / इसलिये हे पुत्र ! इस प्रकार के सुख के स्थान में जाकर तुम भी अपने पिता के समान ही वहाँ रह जाओगे। तब यहाँ पर मेरी क्या गति होगी? / एक ही सुपुत्र के रहने पर सिंहनी निर्भय हो कर शयन करती है। परन्तु गर्दभी-गध्धी दस दस पुत्रों के रहने पर भी कुपुत्र होने के कारण उन Jajn Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org