________________ 138 . विक्रम चरित्र . बोली कि-आप दोनों में से जो कोई घर में से निकल कर मेरे हाथ का स्पर्श करेगा, वही व्यक्ति सेठ के घर का स्वामी होगा और जो नहीं निकलेगा, वह दण्डित होगा। ___वेश्या के ऐसा कहने पर उस पिशाच रूपी छली गुणसार ने देव माया से उस घर में से निकल कर प्रसन्न चित्त से वेश्या के हाथ का स्पर्श किया। तब उस वेश्या ने भी उसके शरीर पर स्पष्ट जानने योग्य एक चिह्न-निशान कर दिया। जब दूसरा गुणसार उस घर से नहीं निकल सका तब वह वेश्या बोली कि-'निश्चय ही बन्द घर से निकलने वाला यही व्यक्ति कपटी गुणसार है।' वह समझ गई कि जो मनुष्य होगा, वह इस प्रकार बन्द द्वार से बाहर नहीं निकल सकता। इसलिये जो घर से यत्न बिना ही निकल आया, वहीं छली है। उसने दोनों को राजा के सामने पेश किया और राजा ने सच्चे गुणसार को घर भेजा तथा कपटी गुणसार को घर से निकलवा दिया। . कपटी गुणसार से रूपवती के गर्भ, रूपवती का बालक . को फेंकना व देवी का उठाना इधर रूपवती के उस कपटी गुणसार से गर्भ रह गया था। उसके अत्यन्त डर जाने से उसका गर्भ पृथ्वी पर गिर गया। मेरी हँसी होगी ऐसा सोच कर रूपवती उस गर्भ को एक खप्पर में रख कर गुप्त रीति से नगर के बाहर उद्यान में रख आई। आकाश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org