________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित तब ब्राह्मण ने अपने मन में सोचा कि ' मैं जो कन्धे पर बकरा ले जा रहा हूँ, वह निश्चय ही छाग नहीं है। क्योंकि किसी ने भी छाग नहीं कहा।' ऐसा निश्चय कर के छाग को वहीं छोड़कर ब्राह्मण अगे बढ़ा। इतने में एक वेश्श वहाँ विवाद के स्थान पर आई, उसको देखकर मंत्री लोग बोले कि अमात्यों को छोड़ कर जो कोई इन दोनों के विवाद का निपटारा करेगा, वह स्त्री हो या पुरुष, उस को राजा बहुत सा धन देकर सत्कार करेगा। राजा बोला कि-यह ठीक है, 'संसार में बुद्धि किसी के आधीन नहीं है / अधम, मध्यम या उत्तम तीनों प्रकार के मनुष्यों को बुद्धि होती है। इसलिये पुरुष अथवा स्त्री कोई भी इन दोनों के विवाद का निर्णय करें। तब वह वेश्या बोली कि 'आप सब लोग देखिये, मैं इसका निर्णय अभी ही करके दिखाती हूँ। ___उस वेश्या ने छिद्र रहित किसी घर में जहाँ प्रवेश करने के लिये केवल एक ही द्वार था, उस घरमें उन दोनों को ले जाकर बोली कि'इस में जो द्वार है, उस द्वार के रास्ते से वेग से निकल कर तुम दोनों में से जो पहले आकर मेरा स्पर्श करेगा वही धनेश्वर सेठ के घर का स्वामी होगा।' ऐसा कह कर जब तक वे दोनों उस घर में प्रवेश करते हैं, तब तक उस वेश्या ने उस घर के दरवाजे बंद किये और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org