________________ wwwww विक्रम चरित्र आई हैं। उनके स्वागतादि सन्मान करने में मुझे विलम्ब हुआ अतः हे स्वामिनि ! इस अपराध को क्षमा कीजिये, " यह सुन कर सुकोमला को अवन्ती से आई हुई कुशल नर्तकियों से नृत्य और संगीत सुनने की तीव्र इच्छा हुई। जैसे - कहा है:-- ___" सदा नवीन नवीन गीत एवं नाच और नगर आम आदि को देखने से मनुष्यों के, मन में अत्यन्त आश्चर्य उत्पन्न होता है।"+ सुकोमला द्वारा पाँचों नई नर्तकियों को बुलाना राजकुमारी सुकोमला को गाना आदि सुनने की तीव्र इच्छा हुई, अतः उसने 'रूपश्री' को कहाः " तू आगन्तुक ( आई हुई ) नर्तकियों को शीव्र घर जाकर साथ ले आ / " सुकोमला की आज्ञानुसार 'रूपश्री' अपने घर गई, उसे इतनी जल्दी लौटती देख कर विक्रमा बोली:-" तू इतनी जल्दी क्यों लौट आई ?" तब रूपश्री कहने लगी:-" राजपुत्री सुकोमला तुम लोग आगमन सुनकर बड़ी खुश है और उसने मुझे तुम का +नवं नवं सदा गीत, नृत्यग्रामपुरादिकम् / / पश्यतो जायते पुंसः, आश्चर्य मानसे भृशम् / / 67 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org