________________ ग्यारहवाँ प्रकरण सुकोमला के पूर्व भव रूपश्री का सुकोमला के पास देरीसे पहुँचना इधर ज्यों .ज्यों समय बीत रहा था, त्यों त्यों राजपुत्री सुकोमला रूपश्री के आने में आज विलम्ब क्यों हुआ, इस विचार में मन ही मन अनेक संकल्प-विकल्प कर आकुल-व्याकुल होती हुई महल में इधर-उधर घूमने लगी, उसके आनेकी राह निमेष रहित नयनों से देख रही थी, इतने में राजकुमारी सुकोमला के आगे रूपश्री शीघ्र गति से आकर विनय आदि से नमस्कार कर खड़ी हो गई, नाच-गान के लिये सुसज्जित हो नाचने की तैयारी करने लगी, इतने में राज-कुमारी ने उससे पूछा 'कि आज आने में विलम्ब क्यों किया ?" ___तब रूपश्री' ने आने में विलम्ब होने का कारण कहा " अवन्तिपति विक्रमादित्य की राजसभा में नाचने वाली तथा संगीत में अति कुशल पाँच नर्तकियाँ हमारे घर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org