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________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित . 77 सब को आमन्त्रण देने के लिये भेजा है, वह आप लोगों का नाच-गान सुनने के लिये बड़ी आतुर हो रही है / ___ इस प्रकार का समाचार सुनकर ' कामकेली' और 'मदना' बोली:-“ हम दोनों नृत्य करेंगी परन्तु गानादि कौन करेगा ?" विक्रमा ने कहाः-" मैं मधुर स्वर से गाऊँगी, भट्टमात्रा वसन्तादि राग से खुश करेगी और वहिनवैतालिका अच्छी तरह वीणा बजायेगी।" __इसी प्रकार ‘सब कार्यक्रम का निर्णय करके सब जाने के लिये शीघ्र तैयारी करने लगे, दिव्य वस्त्र आभरण, आदि श्रृंगार से सज-धज कर अपने शरीर की कान्ति से देवाङ्गनाओं को भी जीतने वाले स्वच्छ निर्मल . जल के समान विशद स्वरूप वाली पाँचों नर्तकियाँ राजकुमारी के महल में आईं। सुकोमला आई हुई पाँच नर्तकियों के बीच विक्रमा को देखकर विचार करने लगी कि 'क्या यह पाताल-कन्या (नागकन्या) है ? किन्नरी है ? ऐसा न हो कि देवाङ्गना ही पृथ्वी पर उतर आई हो?' इस प्रकार देवाङ्गना जैसी पाँचों को देख अपने मनमें विचार करने लगी कि-'जिस के आगे ये हमेशा नाचती हैं, वह महाराज भी बड़ा अद्भुत होगा।' बाद बड़ी कुशलता से मदना और कामकेलि दोनों नाचने लगीं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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