________________ - विक्रम चरित्र शालिवाहन नामका राजा न्याय से राज्य करता है, उसके विजया नामकी पटरानी है। उसके एक अद्वितीय रूपलावण्यवाली तथा सुन्दर कला-जाननेवाली सुकोमला नामकी कन्या है / वह जाति-स्मरण ज्ञान से अपने पूर्व के सात भवों (जन्म) को देखकर नरद्वेषिणी हो गई है और अपनी नजर के सामने आये हुए पुरुष को देखते ही मार डालती है तथा पुरुष का नाम सुनने पर भी स्नान करती है / इस प्रकार गाव के बाहर एक उद्यान में एकान्त में मनमाना सुख से काल बिताती है / राजकुमारी सुकोमला का वर्णन ____" हे राजन् ! वास्तव में तीनों लोक में राज–कन्या सुकोमला की उपमा में दूसरी कोई स्त्री नहीं है / वह ऐसी अद्वितीय सौन्दर्यवती है, मानों अलौकिक रूपका सर्वोत्कृष्ट नमूना ही हो। अस्तु, उसके रहने के लिये सर्व ऋतु में फूल-फल देने वाला तथा सुशोभित नन्दनवन के समान प्रतिष्ठानपुर के बाहर के भाग में शालिवाहन राज ने एक मनोहर उद्यान बनवाया है / उद्यान का वर्णन उस उद्यान में एक सरोवर दूध के समान स्वच्छ पानी से परिपूर्ण है / उस सरोवर का भूमितल एवं उसका तट और सोपान सुवर्ण से मण्डित होने से बहुत ही सुरम्य है। उस उद्यान की सफाई और रक्षा के लिये मार्जारी ( बिल्ली) नामक एक देवी रहती है." Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org