________________ विक्रम चरित्र लगी हैं, जिनपर अनेक राजकुमार और अच्छे अच्छे कर्मचारी लोग बैठे हैं। उस समय की राजसभा और सारी अवन्तीपुरी की शोभा का तथा प्रजा के आनन्द उल्लास का वर्णन करना हमारी निजीव और मूक लेखनी से सम्भव नहीं है / सभाजनो द्वारा राज्य-तिलक इस सभाद्वारा सबके समक्ष विधिपूर्वक बड़े धूम-धाम एवं हर्ष-उत्सव के साथ शुभ मुहूर्त में अवधूत को राज्यतिलक लगाया गया। ___ इस विद्यासिद्ध अवधूत को अपना स्वामी रक्षक समझकर अवन्ती की प्रजा में उनके प्रति पूर्ण श्रद्धा का भाव उत्पन्न हुआ और सारी प्रजा को यह विश्वास हुआ कि ये अपने विद्या तथा पराक्रम से उस अधम असुर को संहार कर अच्छी प्रकार राज्य सँभालेंगे। सारी प्रजाने आजका दिन आनन्द उत्सव में ही बिताया / रात्रि में राजवी (अवधून ) के कथनानुसार राजमहल में स्थान स्थान पर मेवा, मिठाई और अच्छे अच्छे प्क्यान्नो के थाल भर भर कर रखे गये और सुगन्धित 'पुष्पों को सर्वत्र प्रसारित कर दीपमाला से सम्पूर्ण राजमहल को सुशोमित किया और अवधूत राजवी को अपने भाग्य के ऊपर छोडकर मंत्रीवर्ग तथा कर्मचारी गण अपने अपने स्थानपर गये / राजवी भी राजमार्ग और अपने शयनगृह के सैनिकों को सावधान रहने की आज्ञा दे कर अपने पलंग पर जाग्रत अवस्था में सावधानी के साथ खड्ग लेकर निर्भय होकर बहुत वीरता के साथ लेट रहे / शास्त्र में कहा है: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org