________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित फल समर्पित किया। उस फल को देखते ही महाराज आश्चर्यचकित हुए और स्मरण आया कि यह फल तो वह दरिद्र ब्राह्मण का दिया हुआ ही मालूम पड़ता है जो मैंने पटरानी को खाने के लिये दिया था। तब उन्होंने इस बात का पता लगाया तो अन्त में मालूम हुआ कि यह पटरानी की ही करामत है। स्त्री चरित्रका विचार जैसा शास्त्रकारोंने कहा है :स्त्रियाश्चरित्रं पुरुषस्य भाग्यम् , देवा न जानन्ति कुतो मनुष्याः / अर्थात् स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देव भी जानने में अशक्त हैं तो मनुष्य की गणना ही क्या ? स्त्रियों के विषय में US3 Malhenbrary.org