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________________ धन का सदुपयोग कैसे? गृहस्थ अपनी कड़ी मेहनत से जो धनार्जन करता है उस धन का सही तरह से प्रयोग कब? कहाँ? और कैसे? करना चाहिए, इस पर प्रकाश डालते हुए आचार्य कहते हैं कि - बुद्धिमान गृहस्थों को यही उचित है कि वे जितना धन उत्पन्न करें उसके छह भाग कर लेना चाहिए। उसमें से पहला भाग धर्म के लिये निकाल दें, दूसरा भाग अपने कुटुम्ब के भरण-पोषण के लिये देवें, तीसरा भाग अपने भोगों के लिये रख लेवें, चौथा भाग अपने स्वजन-परिवारजन के लिये रख लेवें, शेष दो भाग को जमा कर रखना चाहिये। उससे जिनेन्द्र देव की पूजा अथवा धर्म प्रभावना में लगाना चाहिये अथवा आपत्ति काल के लिये रख लेना चाहिये।' . कौन सा कमाया धन साथ में जाता है और कौन सा धन यहीं पड़ा रह जाता है और नष्ट हो जाता है सो कहते हैं - जो द्रव्य की महिमा बढ़ाने में, प्रभावना में, पात्र-दान में खर्च होता है वही द्रव्य आगामी पर्याय में साथ में जाता है और जो द्रव्य बिना खर्च किये ही जमीन में गाड़ दिया जाता है वह नष्ट ही हो गया ऐसा समझना चाहिये, क्योंकि गाड़े हुए धन को या तो वह स्वयं ही भूल जाता है या फिर वह स्थान ही भूल जाता है अथवा चूहे आदि उस द्रव्य को ले जाकर कहीं दूसरे स्थान पर रखे देते हैं अथवा उस द्रव्य को भाई-बन्धु आदि ले जाते हैं अथवा चोर आदि उसे चुरा ले जाते हैं और इनसे भी यदि बच जाय तो उसको राजा ले लेता है। अथवा अपनी ही दुष्ट तरुण स्त्री उस समस्त धन को लेकर किसी अन्य प्रेमी के साथ दूर देशान्तर को भाग जाती है। इस प्रकार अनेक प्रकार से वह गड़ा हुआ धन नष्ट ही हो जाता है। इसीलिये इस तथ्य को निश्चित रूप से अच्छी तरह से समझकर सुपात्रों को चारों प्रकार का दान देना चाहिये तभी इस अर्जित किये गये धन का सदुपयोग हो सकता है। जिससे किये गये पापों का नाश और श्रेष्ठ पुण्य का उपार्जन हो सके।' यह जो पुण्य अर्जित किया गया है उस पुण्य से इस संसार की समस्त सम्पदायें प्राप्त हो जाती है। जैसे उत्तम कुल की प्राप्ति, तीनों लोकों में यश, सर्वोत्तम रूप, अपार 1 भा. सं. गा. 578-580 भा. सं. गा. 582-585 344 Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.lainelibrary.org
SR No.004264
Book TitleDevsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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