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________________ 4. आद्यन्तमरण - वर्तमान में जैसा प्रकृति, प्रदेश, स्थिति और अनुभाभ द्वारा मरण को प्राप्त होता है, वैसा एकदेश अथवा सर्वदेश से आगामी पर्याय में बन्ध और उदय नहीं होता वह आद्यन्त मरण है। 5. बालमरण - बाल के मरण को बालमरण कहते हैं। बाल पाँच प्रकार का होता fil अव्यव अव्यक्त बाल - जो धर्म, अर्थ और काम को नहीं जानता और न जिसका शरीर ही उनका आचरण करने में समर्थ है, वह अव्यक्त बाल है। जैसे-बच्चे। (ii) व्यवहार बाल - जो वेद और समय सम्बन्धी व्यवहारों को नहीं जानता, वह शिशुवत् होता है, वह व्यवहारबाल है। (iii) दर्शन बाल - अर्थ और तत्त्व के श्रद्धान से रहित सब मिथ्यादृष्टि दर्शनबाल हैं। (iv) ज्ञान बाल - वस्तु को यथार्थ रूप से ग्रहण करने वाले ज्ञान से जो हीन हैं, वे ज्ञान बाल हैं। (1) चारित्र बाल - जो चारित्र पालन किये बिना जीते हैं, वे चारित्र बाल कहलाते पण्डितमरण - इसके चार भेद हैं व्यवहार पण्डित - जो लोक, वेद और समय के व्यवहार में निपुण हैं, सेवा आदि बौद्धिक गुणों में निपुण हैं वे व्यवहार पण्डित हैं। (ii) सम्यक्त्व पण्डित - क्षायिक, क्षायोपशमिक और औपशमिक सम्यग्दर्शन से जो युक्त हैं, वे सम्यक्त्व पण्डित हैं। (iii) ज्ञान पण्डित - जो मति आदि पाँच प्रकार के सम्यग्ज्ञान रूप से परिणत है, वह ज्ञान पण्डित है। 314 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004264
Book TitleDevsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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