________________ कर्म की स्थिति कर्म में स्वामी कर्म का वैशिष्ट्य योग, स्वरूप एवं लक्षण योग की व्युत्पत्ति योग की परिभाषा योग का लक्षण-व्यवहार एवं निश्चयनय से योग के अधिकारी योग के भेद-प्रभेद योग शुद्धि के कारण योग में साधक एवं बाधक तत्त्व योग की विधि योग की दृष्टियाँ योग की परिलब्धियाँ यशोविजय का योग वैशिष्ट्य 415-477 सप्तम अध्याय भाषा दर्शन भाषा से तात्पर्य भाषा के प्रयोजन भाषा पद के निक्षेप द्रव्यभाषा लक्षण भाष्यमाण भाषा भावभाषा के लक्षण भाषा के भेद भाषा दर्शन का महत्त्व भाषा दर्शन एवं पाश्चात्य मन्तव्य साधारण भाषा दर्शन रसल, सूर, विडगेस्टाईन, आस्टिन भाषा दर्शन में उपाध्याय यशोविजय का वैशिष्ट्य 478-517 अष्टम अध्याय महोपाध्याय यशोविजय का रहस्यवाद रहस्य शब्द की व्युत्पत्ति रहस्य शब्द के विभिन्न अर्थ (v) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org