________________ अनुक्रमणिका प्रथम अध्याय उपाध्याय यशोविजय का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व 1-73 व्यक्तित्व गृहवास जन्म स्थान एवं समय माता, पिता एवं बान्धव पूत के लक्षण पालने में पू. नयविजय का चतुर्मास एवं समागम मुनि जीवन दीक्षा, बड़ी दीक्षा गुरु परम्परा विद्याभ्यास-आठ अवधान का प्रयोग धनजी सूरा की विज्ञप्ति एवं स्वीकार काशी में न्याय विशारद एवं तार्किक शिरोमणि विरुद से सुशोभित शारदा देवी का वरदान जिनशासन की प्रभावना महोब्बतखान के समक्ष 18 अवधान का प्रयोग वाचक (उपाध्याय) पद की प्राप्ति उपाध्याय यशोविजय की विद्वत्ता से खंभात के पंडितों का परिचय व्यक्तित्व के विशिष्ट गुण उत्कृष्ट गुरु भक्ति गुणानुरागी और विनय उदारता या उदार दृष्टि श्रुत भक्ति परोपकार परायणता कर्तृत्व में व्यक्तित्व निराभिमानता या लघुता नम्रता-शिष्टाचारिता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org