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________________ के द्वारा किसी वस्तु को दे दिया जाता, वह नाम भाषा-निक्षेप है। जैसे भाषा शब्द यह भाषा का नामनिक्षेप है। नाम निक्षेप में न तो शब्द के व्युत्पत्तिपरक अर्थ का विचार किया जाता है और न उसके लोक-प्रचलित अर्थ का विचार किया गया है, और न उस नाम के अनुरूप गुणों का ही विचार किया जाता है; अपितु मात्र किसी व्यक्ति या वस्तु को सांकेतिक करने के लिए उसका एक नाम रख दिया जाता है। उदाहरण के रूप में कुरूप व्यक्ति का नाम सुन्दरलाल रख दिया जाता है। नाम देते समय अन्य अर्थों में प्रचलित शब्दों, जैसे-सरस्वती, नारायण, विष्णु, इन्द्र, रवि आदि अथवा अन्य अर्थों में अप्रचलित शब्द. जैसे-रिंक, पिंक, मोन, टोन आदि से किसी व्यक्ति का नामकरण कर देते हैं और उस शब्द को सुनकर उस व्यक्ति या वस्तु में संकेत ग्रहण होता है। नाम किसी वस्तु या व्यक्ति को दिया गया शब्द-संकेत है, जिसका अपने प्रचलित अर्थ, व्युत्पत्तिपरक अर्थ और गुण निष्पन्न अर्थ से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता है। यह स्मरण रखना चाहिए कि नामनिक्षेप में कोई भी शब्द पर्यायवाची नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उसमें एक शब्द से एक ही अर्थ का ग्रहण होता है। स्थापना भाषा निक्षेप __ किसी वस्तु की प्रतिकृति, मूर्ति या चित्र में उस मूलभूत वस्तु का आरोपण कर उसे उस नाम से अभिहित करना स्थापना निक्षेप है। उपाध्याय यशोविजय ने भी स्थापना भाषा निक्षेप का विवरण करते हुए कहा है-लिपि, अक्षर, भाषा का स्थापना निक्षेप, यानी स्थापना निक्षेप यदि स्थापना भाषा है या तो किसी चीज की संज्ञा भाषा की स्थापना करने पर यह चीज स्थापना-भाषा स्वरूप होती है, जैसे-जिन प्रतिमा को जिन, बुद्ध प्रतिमा को बुद्ध और कृष्ण की प्रतिमा को कृष्ण कहना। नाटक के पात्र, प्रतिकृतियाँ, मूर्तियाँ, चित्र-ये सब स्थापना निक्षेप के उदाहरण हैं। जैन आचार्यों के इस स्थापना निक्षेप .. के दो प्रकार माने गए हैं स्थापना निक्षेप तदाकार अतदाकार वस्त की आकति के अनरूप आकति में उस मल वस्तु का आरोपण करना यह तदाकार स्थापना निक्षेप है। उदाहरण के रूप में गाय की आकृति के खिलौने को गाय कहना, जो वस्तु अपनी मूलभूत वस्तु की प्रतिकृति तो नहीं है, किन्तु उसमें उसका आरोपण कर उसे जब उस नाम से पुकारा जाता है तो वह अतदाकार स्थापना निक्षेप है। जैसे हम किसी अनगढ़ प्रस्तर खण्ड को किसी देवता का प्रतीक मानकर अथवा शतरंज के मोहरों को राजा, वजीर आदि के रूप में परिकल्पित कर उन्हें उस नाम से पुकारते हैं। द्रव्य का निक्षेप ___ जो अर्थ या वस्तु पूर्व में किसी पर्याय, अवस्था या स्थिति में रह चुकी हो अथवा भविष्य में किसी पर्याय, अवस्था या स्थिति में रहने वाली हो, उसे वर्तमान में उसी नाम से सांकेतित करना-यह द्रव्य निक्षेप है। जैसे-कोई व्यक्ति पहले अध्यापक था, किन्तु वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुका है, उसे वर्तमान में भी अध्यापक कहना अथवा वह विद्यार्थी, जो अभी डॉक्टरी का अध्ययन कर रहा है, डॉक्टर 427 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004261
Book TitleMahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutrasashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2014
Total Pages690
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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