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________________ 73. तत्त्वार्थ सूत्र, अध्याय-3, पृ. 112-14 74. भगवती सूत्र, 11-90 75. भगवती सूत्र, शतक-13, उद्देशक-21, पृ. 1103 76. अनादिविंशिका, श. 1 77. लोकप्रकाश, भाग-1, सर्ग-2, गाथा-3 78. दशवकालिक हारिभद्रीय वृत्ति, पृ. 70 79. ध्यानशतक, पृ. 45 80. अनुयोग मलधारीय वृत्ति, पृ. 80 81. तत्त्वार्थ हारिभद्रीय टीका, पृ. 165 82. षड्दर्शन समुच्चय टीका, पृ. 250 83. ललित विस्तारावृत्ति, पृ. 102 84. ध्यानशतक, गाथा-53 85. तत्त्वार्थ भाष्य, पृ. 159 86. षड्दर्शन समुच्चय टीका, पृ. 250 87. अंगुत्तर निकाय, 9/38 . 88. षड्दर्शन समुच्चय टीका, पृ. 30 89. वीतराग स्तोत्र, प्रकाश 7/8 90 सूत्रकृतांग, अध्याय-1, उद्देशक-3, गाथा 5-7 91. ललित विस्तारावृत्ति, पृ. 205 92. शास्त्रवार्ता समुच्चय टीका, स्तवक-3, पृ. 34 93. नंदीसूत्र हारिभद्रीयवृत्ति, पृ. 108 94. विशेषावश्यक कोटयाचार्यवृत्ति, पृ. 18 95. अभिधान राजेन्द्रकोश, पृ. 2462 96. अनुयोग हारिभद्रीय वृत्ति, पृ. 8 97. नन्दी हारिभद्रीय वृत्ति, पृ. 3 98. नन्दीसूत्र, पृ. 2 99. आवश्यक सूत्रावचूर्णि, पृ. 4 100. पंचास्तिकाय और वृत्ति, गाथा-9, पृ. 26 101. तत्त्वार्थराजवार्तिक, प्रथम अध्याय, 29/1 102. द्रव्यास्तिकाय, अध्याय 2/1 103. तत्त्वार्थ राजवार्तिक, पृ. 21-22 184 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004261
Book TitleMahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutrasashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2014
Total Pages690
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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