________________ शुभकामना दार्शनिक चिन्तन का अवलोकन चिंतक जीवन की प्रगति के सौपान तक पहुंचकर मंजिल पार करता है / ज्ञानवर्धक चिंतन करते-करते महापुरुषों के जीवन सागर में गोते लगाने वाला उनके ज्ञान रत्नों को अवश्य पाता है / श्रमणीवर्या अमृतरसा जी ने ज्ञान समुद्र में गोते लगा कर महापुरुष वाचक प्रवर श्री यशोविजय जी के जीवन के रत्नों को पाकर जो पुस्तक लेखन किया, वह अनुकरणीय है | यह भगीरथ प्रयत्न राष्ट्रसंत, शासनसम्राट्, जैनाचार्य प्रवर श्रीमद् विजय जयन्तसेनसूरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्तीनी के गुरु आशीर्वाद पाकर यह वाचकप्रवर श्री यशोविजय जी के दार्शनिक चिन्तन का अवलोकन कर अन्य रूप में संघ, समाज,शासन एवं ज्ञान पीपासुओं को आत्मश्रेय का आधार दिया, जो सभी के लिये उपयोगी बनेगा / इसी तरह ज्ञान सागर के रत्नों को बांटने से प्रगति करें, यही हृदय से कामना करते हैं / इति . - नित्यानन्द Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org