________________ 8. गतमोहाधिकारणामात्मानमधिकृत्य या। प्रवर्तने क्रिया शृद्धा तद्ध्यात्म जगुर्जिनाः / / 2 / / -अध्यात्मस्वरूप अधिकार 9. रूढयर्थ निपुणास्त्वाहुश्चितं मैत्र्यादिवासितम्। अध्यात्म निर्मलं बाह्यव्यवहारपबृंहितम्।।3।। -अध्यात्मस्वरूप अधिकार, अध्यात्मसार 10. परहितचिन्तामैत्री पर दुःखविनाशिनी करुणां। परसुख तुष्टिर्मुदिता, परदोषोपेक्षण मुपेक्षा।।2।। (अ) अध्यात्म कल्पद्रुम; (ब) षोडशतक प्रकरण, 41/15; (स) योगसूत्र, 1/33 11. मा कार्षीदकोपी पापानि, माच भूतकोऽपि दुःखितः। मुच्यता जगदव्येषा मतिमेत्री निगद्यते।।3।। -अध्यात्मकल्पद्रुम 12. Merchant of Venice - नाटक शेक्सपीयर 13. राग धीरजे जीहां गुण लहीये, निर्गुण उपर समचित रहिये। -सज्झाय उपाध्याय यशोविजय 14. नय परिच्छेद-जैन तर्क परिभाषा -उपाध्याय यशोविजय 15. (अ) वक्तुरभिप्रायः नयः स्याद्वादमंजरी, पृ. 243 (ब) नयोज्ञातुरभिप्रायः-लघीयस्त्रयी श्लोक, 53 16. जावइया वयणपहा। तावइया होति नयवाया-सन्मति तर्क, 3/47 17. चत्वारीऽर्थाश्रयाः नैगम-सिद्धि विनिश्चय, 72 18. (अ) संकल्पमात्रग्राही नैगम, सर्वार्थसिद्धि, 1/33 (ब) अर्थ संकल्पग्राही नैगम, तत्त्वार्थराजवार्तिक, 1.3.2 19. सामान्य मात्रग्राही परामर्श संग्रहः। . -जैन तर्क परिभाषा, नय परिच्छेद, पृ. 60 20. अतोविधिपूर्वकमवहरणं व्यवहारः। -तत्त्वार्थराजवार्तिक, 1.33.6 21. लौकिक सम उपचारप्रायो विरततार्थीव्यवहार। -तत्त्वार्थराजवार्तिक, 1/35 22. नय रहस्य 23. भेदं प्राधान्यतोऽविच्छन्न ऋजुसूत्रनयो मतः लधीयस्त्रय, 3.6.71 24. (अ) पर्यायशब्देषु निरुक्तिभेदेन भिन्नमर्थं समभिरोहन् समभिरूढः (ब) शब्दानां स्वप्रवृत्तिनिमित भूतक्रियाविष्टमर्थ वाच्यत्वेनाभ्युपगच्छन्नेवम्भुतः -जैन तर्क परिभाषा, नय परिच्छेद 25. पूर्वसेवा तु तन्त्रहगुरदेवादिपूजनम् / सदाचारस्तपो मुकत्यद्वेषश्चेह प्रकीर्तिता।109 / / -योगबिन्दु, हरिभद्र 26. अध्यात्मवैशारदी -अध्यात्मोपनिषद् टीका, पृ. 15 27. वही, पृ. 16 28. अपुनर्बधकाद्यावाद गुणस्थानं चतुर्दशम् / क्रमशुद्धिभति तावक्रियाध्यात्ममयी मता।।4।। -अध्यात्मोपनिषद् 113 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org