________________ चैत्यवंदन भाष्य. बंदित्तु-बांदीने | चिइवंदणाइ-चैत्यवंदन आदि | वित्ति-वृत्ति दणिज्जे-बांदवा योग मुवियारं-रडा विचार प्रत्ये भास-भाष्य सध्वे-सर्व (पंचपरमेष्ठि) | बहु-पणी चुण्णी-चूर्णि | सुयाणु सारेण-श्रुतने अनुसारे बुच्छामि-कहीश vasaaraaaomeovom/aawaam वंदित्तु वंदणिज्जे, सब्बे चिइवंदणाइसुवियारं॥ बहुवित्तिभासचुण्णी-सुयाणुसारेण वुच्छामि // 1 // For Personal & Private se Only