________________ permanasenavedowwwwcomaavaomwapdoewapMAS |स्स; ए चोत्रीश अदर गुरु.जाणवा..... . तथा सिद्धाएं बुद्धारूप सिद्ध स्तवने विषे द्धा, द्धा, ग्ग, छ, डा, का, का, स्स, छ, स्स, किं, स्का. स्स. म्म..हि. हत्ता , ह, बी, हिहा, द्धा, चिं. च, म्म.हि, हि, स्स, ग्गं, ए एकत्रीश अकर गुरु ...... ___तथा प्रणिधान त्रिकने विषे टे; वा; ; वे, ग्गा; छ; द्धि; छ; चा; छ; व; ए बार गुरुवर्ण ए|टले नारे अदर जाणवा // | , एटले वर्ण संख्या, पद संख्या अने संपदा मली त्रण द्वार कह्यां, तेनी साथे पूर्वे कहेला || सात द्वार मेलवतां मूल दश द्वार कहेवाणां, अने उत्तर नेद 10 थया. ए सूत्रांना अर्थ सर्व |श्री आवश्यक नियुक्तिनी वृत्तिथी जाणजो. श्हां घणो ग्रंथ वधे माटे अर्थ लख्यो नथी॥ 40 // PARVANDAmarvasanaposdome /eGo/Acto/ twaespe Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janebryong