________________ Barwaavatsanst/30002SADVEMBVPREVEAD/as | लीश पद जाणवां, तथा वर्ण एटले अक्षर ते बरों ने गणत्रीश जाणवा // 36 // हवे चैत्यस्तव जे अरिहंत चेश्याणं तेनी प्रत्येक संपदाना पदनुं मान तथा प्रत्येक संपदाना आदिपद एटले धुरियां कहे जे. चउ-चार पया-पद मुहुम-मुहुमेहिं अंगसंचालेहि छ-छ छप्पय-छ पदनी अरिहं-अरिहंत चेइयाणं | एव-एवमाइहें आगारेहिं सग-सात चिइ-चैत्य स्तवनी वंदण-वंदण बत्तियाए जाव-जाव अरिहंताणं नव-नव संपया-संपदानां सिद्धा-सिद्धाए ताव-ताबकायं तिय-प्रण पढमा-प्रथमनां | अन्न-अन्नथ्य उससिएणं / दुछ सग नव तिय छ चउ, छप्पय चिइ संपया पया पढमा॥ अरिहं वंदण सिद्धा, अन्न सुहुम एव जा ताव // 37 // 2//Baa/DD/ABDe/6Vre/RDABE/areaN sinin Education national For Personal & Private Use Only www.janeiro