________________ चै० भाग तक जारी BODB/neouVaoamvareplacease/aNDANDARVeos थोअवसंपया-स्तोतय संपदा उवओग-उपयोग प योग हेतु संपदा | संपदा उह-ओघ संपदा | तद्धेऊ-तत् हेतु, उपयोग हेतु सरुषहेउ-स्वरूप हेतु संपदा | मुख्खे-मोक्ष संपदा | इयरहेऊ-विशेष हेतु . सविसे सुत्र उग-सविशेष उ- | नियसमफलय-निज समफलद थोअव्वसंपया उह-ईयरहेऊवओगतद्धेऊ॥ सविसेसुवउगसरूव-हेऊ नियसमफल मुखे // 35 // शब्दार्थ-स्तोतव्य संपदा, सामान्य हेतु संपदा, विशेष हेतु संपदा, उपयोग संपदा, तहेतु संपदा, सविशेषउपयोगहेतु संपदा, स्वरूपहेतुसंपदा, निजसमफलदसंपदा अने मोक्षसंपदा, ए नमुत्युगनी नव संपदानां नाम कया. // 35 / / विस्तारार्थः-श्रीअरिहंत नगवंत ते विवेकी जनोयें स्तववा योग्य ले एटला माटे न नुत्यु अरिहंताणं, नगवंताणं ए वे पदनी पहेली स्तोतव्य संपदा जाणवी. पडी ते स्तवधा योग्यतुं | सामान्य हेतु कहेवा माटे आगराणंथी मामीने सयंसंबुद्धाणं लगें त्रण पदनी बोजी उघ एटले | सामान्यहेतु संपदा जाणवी. पडी ए बीजी संपदाना अर्थने विशेषे दीपावे ते माटेसामान्यहेतुयी PANDHINDowanpramoDanemom/meanse Jain Education internation For Personal & Private Use Only www jainelibrydig