________________ OTTO // 30 // बलनीत्रण संपदा ते इरियावहिनी चूलिकारूप जाणवी // 33 // हवे नमुनुणंनी प्रत्येक संपदाना पदनी संख्या तथा आदिपद कहे . सक्कथय-नमुथ्थुणंने विषे आइग-आइगराणं धम्म-धम्मदयाणं ति--प्रण संपया-संपदा पुरिसो-पुरिमुत्तमाणं अप्प-अप्पडिहय चउ-चार पण-पांच आइपया-प्रथमनां पद लोग-लोगुत्तमाणं जिण-जिणाणं तिपय-त्रण पदनी नमु-नमुथ्थुगं अभय-अभयदयाणं सव्वं-सव्वन्नूगं NiVisusaravasasaram/ avavaNESDaaraaro/aavases/8D/EDABG दुतिचउपणपणपणदुच-उतिपयसकत्थयसंपयाइपया // नमुआइगपुरिसोलो-गअभयधम्मपजिणसव्वं // 34 // u/amasarB/G/PDAAG // 30 // - शब्दार्थ-नमुत्थुणनी नवसंपदामा अनुक्रमे बे, त्रण, चार, पांच, पांच पांच, बे, चार अने त्रण एटला पदनी संख्या होयछे. तेमां दरेकर्नु आदि पद, नमुत्युणं, आइगराणं, पुरिसुत्तमाणं, लोगुत्तमाणं, अभयदयाणं, धम्मदयाणं, अपीडहयवरनाण, जिणाणं, सव्वनणं. सव्वदरिसिणं ए जाणवां. // 34 // For Personal Private Use Only www.janelibrary.org