________________ नवबत्तीसतित्तीसा, तिचत्तअडवीससोलवीसपया // ___ मंगलइरियासक, त्थयाइसु इगसीइसयं // 28 // yavasass90030030/0BAAJDOBasa शब्दार्थ-नवकार, इरियावहि अने नमुत्थु गादि सात मूत्रमा नव, चत्रीश, तेत्रीश, तेंतालीश, अट्ठावीश, सोल अने वीश एटलां पदो होय छे. सर्व मलीने एकसो एकाशी पद थाय छे. // 28 // विस्तारार्थः-नवकारनां नव पद , रियावहिनां बत्रीश पद, नमोन्नुर्णनां तेत्रोश पद, अ-|| | रिहंतचेइयाणंना तालीश पद, लोगस्सनां अठावीश पद, पुरकरवरदोनां सोल पद, सिद्धाणंबुद्धाएंनां वीश पद, एम नवकार, शरियावहि अने शक्रस्तवादिक पांचे दमक ए सात सूत्रांने विषे सर्व मली एकशो ने एक्याशी पदनी संख्या जाणवी. अने प्रणिपातनां पद तो वांदणां नेलां गुरु वंदनमां कहेशे, तथा प्रणिधानत्रिकनी पद संपदा अनुक्रमें , ते माटें न कयु “वारिऊर" त्यादि गाथा नक्तिनी योजना , ते इहां गणी नही // 2 // DABADRIPEDIAroteam-DinesaneryoDNPeBox Jain Education International For Personal & Private Use Only www jainelibrydig