________________ चे०भा भा० oasarae98/09/8/09/B/RS/ श्रावश्यकवृत्तियकी जाणवो // 24 // एटले त्रण नेदें चैत्यवंदनानुं पांचमुं हार कयु. सर्व मली उत्तर बोल तालीश थया // हवे बहुं प्रणिपातकार तथा सातमुं नमस्कार छार कहे . पणिवाओ-प्रणिपात उत्तमंग-मस्तक नमुक्कारा-नमस्कार तिग-त्रणथी पंचंगो-पांच अंग च-बली इग-एक जाव-यावत् दोजाणू-बे जानु सु-भला अहसयं-एकशोने आठ करदुग-बे हाथ महत्थ-मोटा अर्थशा पणिवाओ पंचंगो, दोजाणू करदुगुत्तमंगंच॥ दारं 6 // सुमहत्थनमुक्कारा, इग दुग तिग जाव अठुसयं // 25 // // 22 // शब्दार्थ-बे ढींचण ये हाथ अने मस्तक ए पांच अंग पृथ्वीने अडाडी नमस्कार करवा ते पंचांग प्रणिपात कहेवाय. तेमज एक, वे, त्रणथी मांडी एकसो आठ नवकार कहेवा ते नमस्कार कहेवाय. // 25 // ABGB/Sm/aa For Personal Private Use Only