________________ कर: तेमां पदेला त्रण नांगाने विषे यनका पटखें याहा पटले / पचम्कागने करवा कराववा रूप चननंगी चाय ते कहे . एक पत्रकाणनो करनार शिष्य पण जाण होय. अने वीजा पञ्चम्काण कगवनार गुरु पण जाग होग, प्रथम नंग शुद्ध जाणवो. बीजो पराकाण कगवनार गुरु जाण होय यने पञ्चम्काण करनार शिप्य अजाण होय. वजो नांगो पण शुद्ध जा. वो. त्रीजी पञ्चम्शण करनार शिष्य जाण होय अने पचमबाणनो कगवनार गुरु अजाण होय ए चीजो नांगो पा शुद्ध जाणवो. चो यो पञ्चम्याण करनार शिप्य करने पच्चरकाग करावनार गुरु, ए बेतु अजाण होय, ते चोयो नांगो श्राद्ध जागवी परीते चार नांगामादेथीत्रण नांगे पञ्चग्ग्वाण करवानी आझा , अने चोथा नांगाने विष याझा नथी / / ए मूलगुण, उत्तरगणरूप पञ्चरकाणन सात छार यु. जनर नेद व्याशी थया / / 43 // हवे पूर्वोक्त गादिके विचारीने पण जेम संयमयोग हीन थाय नही, ते रीते पञ्चग्वाण की, था पण प्रकारनी शुद्विये करी सफल पाय, माटे पञ्चम्वाणनी विशुद्धिनुं श्रापमुं दार कहे . For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org