________________ B प प०भा० // 15 // RABINEERumetamaas RasansaamaasasanasasawanSamvaaseen विस्तारार्थः-तेलथी नीपनी एवी तिल सांकली तथा खारेक, टोपरां, सिंगामा प्रमुखना | होलीना हारमा तेने वरसोलां कहीये, अने श्रादिशब्दथकी साकर खांझना विकार साकरीया पापम, नालिकेर, खांस, कातली. पाक, सर्व मेवा प्रमुख, तथा रायण यांबादिक एटले आम्रादिक फल सर्व अचित्त करयां पाकादिके नीपजाव्यां मधुकादिकनां, नालिकरादिकना,पाखवाणी प्रमुख, नालेरवाणीप्रमुख मोली, तेल, आदि शब्दथकी नालिकेर, सरसव प्रमुखर्नु तेल तथा एरंग प्रमुख तेल जाणवू. अस्कोमादिक मेवा हलवा प्रमुख ए सर्व सरस उत्तम अव्य कहीये तथा एने लेपकृत पण कहीये. ए नीवीमां कल्पनीय जाणवां. // 30 // हवे ए सर्व पदार्थ कारणे लेवां कल्पे, पण सहजपणे रसगृध्रताये लेबां करूपे नहीं, ते कहे . विगइगया-निवियाता | निम्विगइयंमि-नीवीना पञ्च- | मुतुं-कीने भुतु-भोगवद्, लेवू संसहा-संसृष्टद्वव्य ख्खाणने विष कप्पंति-कल्पे .. जे-जे उत्तमदब्वाइ-उत्तमद्रव्यादिक | कारणजायं-कारण न-नहि | वुत्तं-कडं ले e 150 emarava For Personal Private Use Only