________________ /amscandARTeam चि०भा० चै०भा० DDDDD/auceraBRUD/anus/miance/ गीत, १ए नृत्य, 20 स्तुति, 1 देवऽव्यकोशवृद्धि, एवं एकवीश नेद, तथा एकशो आठ प्रकारादि ए सर्व बहुविध पूजा जाणवी. ए रीतें पंचोपचार, अष्टोपचार अने सर्वोपचार मलीत्रण नेदें पूजा जाणवी. ए चोथु पूजात्रिक कर्वा // 10 // हवे पांचमुं, अवस्थात्रिक कहे बेःभाविज्ज-भाव्य पयथ्थ-पदस्था अवस्था केवलितं केवलज्ञान अवस्थायें तस्सथ्यो-ते पिंढस्थादिक प्रण अवथ्थतियं-त्रण अवस्था रूबरहियत्तं-रूपरहित सिद्धत्तं-सिद्धपणानी अवस्थायें अवस्था नो अर्थ जाणवो पिंडथ्थ-पिंडस्थावस्था छउमथ्थ-छद्मस्थावस्थायें चेव निचे भाविज्ज अवत्थतियं, पिंडत्थ पयत्थ रूवरहियत्तं // छउमत्थकेवलितं, सिद्धत्तं चेव तस्सत्थो // 11 // NDJORISARO/ARO/Aravartie/aMcDaaorre // 11 // शब्दार्थ हे भव्य जीव : तुं भगवंतनी पिंडस्थादि जग अवस्था भाव्य. तेमां पिंड स्थावस्थाने छद्मस्थावस्थाये, पदस्थावस्थाने केवल ज्ञानावस्थाये अने रूपरहितावस्थाने सिद्धावस्थाये भाववी, एज निश्चे तेनो अर्थ छे. // 11 // Daupane Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org