________________ Da प०भा० प०भा० 1139 // पण-पांच चउ-चार भख्ख-भक्ष दुद्धाइ-दुग्धादिक विगइ-विगइ इगवीसं-एकवीश ति-त्रण दुबे चविह-चार भेदे अभख्खा-अभक्ष्य चउ-चार महुमाई-मधु आदिक विगइ-विगइ | बार-बार emayanavidavasnaveerpassMAHILAODamantavya दुविहे-वे भेदे पण चउ चउ चउ दु दुविह, छ भख्ख दुद्धाइ-विगइ इगवीसं ति दुति चउविह अभख्खा , चउ महुमाई विगई बार // 29 // VarawanswaracanamaAREDGJRementsena शब्दार्थ-दुधनां पांच, दहिनां चार, घीनां चार, तेलनां चार, गोलना बे, पकानना बे. एम ए दुध विगेरे भक्ष्य || (खावा योग्य) विगइना सर्व मली एकवीस भेद थाय छे. तेमज मधना ग, मदिराना बे, मांसना त्रग, मांख गना चार. एम ए चार अभक्ष्य विगइना सर्व मली बार भेद छे. // 29 // विस्तारार्थः-जे इंजियादिकने पुष्ट करे, मन, वचन अने कायाना योगने अप्रशस्त विकार उपजावे, ते विग कहीये, ते विग दश नेदे . तेमांथो चार विग तो साधु अने श्रावक // 139 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org