________________ त्रीजो प्रचन्नकाल ते कालनी प्रशन्नता जाणवी. जेम मेघादि एटले मेघना वादले करीने ढंका गयेला सूर्यनी खबर न पसे, तथा यादिशब्दथकी दिग्दाह, ग्रहादिक, रजोवृष्टि, पर्वत प्रमुख सर्व जाणी लेवू. तिहां पर्वत अने वादला प्रमुख अंतरिक्ष, सूर्य देखाय नहीं, अथवा रज जमवे करी न देखाय, तेवारे पोरिसीयादिकना कालनी खबर न पमतां अपूर्ण थयेलीने संपूर्ण थयेली जाणीने जमवा बेसी जाय तो पच्चकाण नंग न थाय. परंतु जाणवामां आवे तो पबीअर्दो जम्यो थको होय तो पण एमज बेशी रहे, अने पोरिसी श्रादि पूर्ण थाय, पनी जमे तो नंग न | थाय, परंतु हजी पूर्ण थ नथी. एवं जाणवामां आवे तो पण अटके नहीं. अने जमे तो पच्च ख्खाण नंग थइ जाय॥ ___चोथो दिसामोहेणं ते दिशिना विपर्यासपणाथकी जेवारे दिङ्मूढ थइ जाय, तेवारे पूर्वने | पश्चिम करी जाणे अने पश्चिमने पूर्व करी जाणे एम खबर न पम्वाथी अपूर्ण पच्चख्खाणे पण पूर्ण काल थयो जाणीने जमे तो पचख्खाण नंग नहीं, थने दिङ्मोह मटी गया पली जेवारे NBasiMainmentAHOPDeparavasanawaraDAREDATE sinin Education national For Personal & Private Use Only www.janelyg